४.) निचली परतों में अशुद्धि के क्या लक्षण है?

 निचली परतों में अशुद्धि, जैसे कामवासना का अवरोध, अतृप्त इच्छायें आदि के कारण नींद आती है। वह कुछ रचनात्मक नहीं करने देती हैं। नींद प्रतिक्रिया है चित्त की, एक अवरोध है। अशुद्धि, अतृप्त इच्छायें या रुचि का अभाव होने से आलस या निंद आती है। 

जीवन छोटा सा है, उसमें वो करना चाहिए जो मुझे पसंद है ना की वह जो किसी और को पसंद है। जिस काम में रुचि नहीं है वह करने के लिए हम यहां नहीं आये हैं। जिस काम में रुचि है वही जीवन का लक्ष्य भी है। पैसा कमाना उदेश्य है और पढ़ाई मेडिकल की कर रहे हैं। आलस का कारण अतृप्त वासनायें होती हैं। निचली परतों में अशुद्धि है तो आज्ञा चक्र पर ध्यान करने से क्या होगा। 


निचली परतों में शुद्धि होनी चाहिये। जैसे मुझे कुछ बनना है, दूसरों से बेहतर बनना है, ऊंचा उठना है आदि अशुद्धि यदि हैं तो भौतिक कार्यों में भी सफलता या प्राप्ति होने पर भी सुख नहीं मिलेगा। अशुद्धि से ऊर्जा समाप्त हो जाती है। चित्त की शुद्धि होने से अनुभव भी बदलने लगते हैं।

अध्यात्म मार्ग पर आते ही सब कुछ ठीक होने लगेगा। शुद्धिकरण भी ज्ञान मार्ग या अध्यात्म का ही भाग है। अपनी अशुद्धि या समस्याओं के लिए मैं ही जिम्मेदार हूँ और इसीलिये, मैं ही उनको मिटा भी सकता हूँ। किसी और की वजह से आयी होती तो कुछ नहीं किया जा सकता था। ज्ञान मार्ग में बहुत जल्दी अशुद्धियों से मुक्ति पाई जा सकती है या सारी वासनायें पूरी की जा सकती हैं। 

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