२.) क्या आध्यात्मिक साधक की भी इच्छाएं होती है? वे उनकी पूर्ति कैसे करते है?

साधक के पास वासना पूर्ति के बहुत सारे उपाय हैं जो साधारण व्यक्ति के पास नहीं हैं।
वासना पूर्ति का उपाय है - कुछ इच्छाओं की पूर्ति, कुछ का त्याग यानि उनको विलम्बित करना और सबसे अच्छा उपाय है, चेतना जागृति के द्वारा उनसे मुक्त या विरक्त होना।

यदि चेतना जागृत है तो स्वप्न या इच्छा लोक में सारी वासना पूर्ति कर सकते हैं। वासनाओं से मुक्ति का उपाय वासना तृप्ति भी है जिसके लिए स्वप्न या सूक्ष्म अवस्था का उपयोग किया जा सकता है। पर अंततः वासना पूर्ति से मुक्ति नहीं होती, वह अनंत नये रुप में आती रहती हैं, लेकिन चेतना के द्वारा उनसे विरक्ति सम्भव है। विरक्ति लक्ष्य है तृप्ति नहीं। तृप्ति का असर थोड़े समय तक रहता है, इसलिये विरक्ति उपाय है। विरक्ति यानि जब वासना आये तब भी आप उससे कर्म करने के लिए बाध्य नहीं होंगे। उस वासना में वह शक्ति नहीं होगी, जैसे जली हुई रस्सी। मनुष्य जीवन वासना पूर्ति के लिए लिया है, बस ध्यान रहे कि वासना पूर्ति से दूसरों का या आपका स्वयं का कुछ बुरा नहीं हो,किसीके मन को मत दुखाईये।

चेतना में की गयी वासनापूर्ति विरक्ति लाती है | बेहोशी में की गयी वासना पूर्ति उस वासना को और प्रगाड़ कर देती है। चेतना हर बीमारी की दवा है। आत्मज्ञान से सारी परेशानियां दूर होने लगेंगी। माया का अन्त है चेतना में रहना।

शरीर यंत्र है वासना पूर्ति के लिए, जैसे ही आत्मज्ञान होता है कि मैं शरीर या मन नहीं हूँ तो वासनायें मेरी कैसे हो सकती हैं। फिर वो आयें या जायें क्या अन्तर पड़ता है। यही मूल मंत्र या रामबाण है निर्वाण का।

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